श्री बजरंग बाण (Shri Bajrang Baan in Hindi Pdf)
Bajrang Baan in Hindi pdf: “श्री बजरंग बाण” गान का विवरण हिंदू धर्म और भक्ति के क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखता है। इसमें, “बजरंग बाण” भगवान हनुमान को समर्पित एक पूजनीय स्तोत्र के रूप में है। इसकी उत्पत्ति महाकाव्य रामायण में हुई थी, विशेषकर “सुंदरकाण्ड” में, जहां महान साधु-कवि तुलसीदास ने प्रभु हनुमान की प्रशंसा में इन शक्तिशाली श्लोकों को रचा था।
इस ब्लॉग में, हम “श्री बजरंग बाण” के गाने की विशेषता और अर्थ की चर्चा करेंगे, जो युगों युगों से अगणित भक्तों के साथ गहराई से साझा किया गया है। “श्री बजरंग बाण” गान के शुरुआती श्लोकों में हनुमानजी की अनगिनत कलाओं और गुणों की महिमा की जाती है। यह गीत भक्तों को उनके आदिदैविक देवता हनुमान की प्रार्थना के लिए प्रेरित करता है और उनकी शक्ति, साहस, और प्रेम का गुणगान करता है। गान के शेरों में सुन्दर भाषा और गंभीर भावनाएं व्यक्त होती हैं, जो श्रद्धालुओं को भगवान हनुमान के प्रति अद्वितीय भक्ति में लिपटने के लिए प्रेरित करती हैं।
जो लोग “बजरंग बली श्री हनुमान जप” करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के दुःख-बेदना से दूर रहने और सभी प्रकार के भय से मुक्त रहने में सहायक होता है। कुछ लोग हनुमान चालीसा पढ़कर बजरंग बली को खुश रखना पसंद करते हैं, लेकिन यदि उनके साथ “श्री बजरंग बाण” भी जप किया जाए, तो बजरंग बली के भक्त अधिक आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। “श्री बजरंग बाण” के पाठ करने वाले भक्त विभिन्न प्रकार की समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। “श्री बजरंग बाण” का पाठ करने के लिए उसकी विधि, नियम और सावधानी को जानना बहुत महत्वपूर्ण है।
बजरंग बाण: मंगलवार से शुरू करने का महत्वपूर्ण तरीका और नियम
बजरंग बाण का पाठ सर्वदा मंगलवार से शुरू करना उचित है। बजरंग बाण संस्कृतमें उन विशेष शब्दों का अर्थ है, और इसका प्रभावी प्रयोग कैसे किया जाता है। बजरंग बाण एक पवित्र श्लोक समृद्धि, शांति और सुरक्षा की प्राप्ति के लिए पठित किया जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होता है, और वह अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करता है।
बजरंग बाण को पढ़कर भक्त सच्चे हृदय से हनुमानजी की आराधना करते हैं और उनसे कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस ग्रंथ में बजरंग बली की महात्म्य का वर्णन है, जिससे भक्त का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
बजरंग बाण का पाठ करने का सही तरीका और नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। ध्यानपूर्वक और श्रद्धापूर्वक इसे पढ़ने से भक्त को अधिक लाभ होता है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को श्री हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और वह जीवन में सुख-शांति का अनुभव करता है।
Shri Bajrang Baan in Hindi Pdf
दोहा :
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई :
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जय हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जय जय जय धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
दोहा :
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥